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Real truth about sex-who is most enjoy during sex

Real truth about sex-who is most enjoy during sex

पौराणिक कहानी: सेक्स कौन ज़्यादा एंजाय करता है - स्त्री या पुरुष?

यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग के वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन ज्यादा आनंद उठता है। इस बारे में सब के अलग-अलग मत हो सकते है। हिन्दुओं के प्रसिद्द धर्म ग्रन्थ "महाभारत" और ग्रीक (यूनान) के धर्म ग्रन्थ में इस प्रश्न का जवाब देती दो कथाएँ है और आश्चर्यजनक रूप से दोनों पौराणिक कथाओं का निष्कर्ष एक ही है। आज इस लेख में हम आपको वो दोनों कथाएं बताएंगे।

जब युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से किया यह प्रश्न

एक बार युधिष्ठिरअपने पितामह भीष्म के पास गए और बोले "हे तात श्री! क्या आप मेरी एक दुविधा सुलझाएंगे? क्या आप मुझे सच सच बताएंगे की स्त्री या पुरुष दोनो में से वो कौन है जो सम्भोग के समय ज़्यादा आनंद को प्राप्त करता है?" भीष्म बोले, "इस सम्बंध में तुम्हें भंगस्वाना और सकरा की कथा सुनाता हूँ, जिसमे तुम्हारे सवाल का जवाब छुपा है। "

भंगस्वाना और सकरा की कथा

बहुत समय पहले भंगस्वाना नाम का एक राजा रहता था। वह न्यायप्रिय और बहुत यशस्वी था लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था। एक बालक की इच्छा में उस राजा ने एक अनुष्ठान किया जिसका नाम था 'अग्नीष्टुता'. क्यूंकि उस हवन में केवल अग्नि भगवान का आदर हुआ था इसलिए देवराज इन्द्र काफी क्रोधित हो गए।

इंद्र अपने गुस्से को निकालने के लिए एक मौका ढूँडने लगे ताकि राजा भंगस्वाना से कोई गलती हो और वह उसे दंड दे सकें। पर भंगस्वाना इतना अच्छा राजा था की इन्द्र को कोई मौका नहीं मिल रहा था जिस कारण से इन्द्र का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था था। एक दिन राजा शिकार पर निकला, इन्द्र ने सोचा ये सही समय है और अपने अपमान का बदला लेने का और इन्द्र ने राजा को सम्मोहित कर दिया।

राजा भंगस्वाना जंगल में इधर-उधर भटकने लगा. अपनी सम्मोहित हालत में वह सब सुध खो बैठा, ना उसे दिशाएं समझ आ रही थीं और ना ही अपने सैनिक नहीं दिख रहे थे. भूख-प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था। अचानक उसे एक छोटी सी नदी दिखाई थी जो किसी जादू सी सुन्दर लग रही थी. राजा उस नदी की तरफ बढ़ा और पहले उसने अपने घोड़े को पानी पिलाया, फिर खुद पिया।

जैसे ही राजा ने नदी के अंदर प्रवेश की, पानी पिया, उसने देखा की वह बदल रहा है। धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया। शर्म से बोझल वह राजा ज़ोर ज़ोर से विलाप करने लगा. उसे समझ नहीं आरहा था की ऐसा उसके साथ क्यूं हुआ।

राजा भंगस्वाना सोचने लगा, "हे प्रभु! इस अनर्थ के बाद में कैसे अपने राज्य वापस जाउं? मेरे अग्नीष्टुता' अनुष्ठान से मेरे 100 पुत्र हुए हैं उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा? मेरी रानी, महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं, उनसे कैसे मिलूंगा? मेरे पोरुष के साथ-साथ मेरा राज-पाट सब चला जाएगा, मेरी प्रजा का क्या होगा" इस तरह से विलाप करता राजा अपने राज्य वापस लौटा।

स्त्री के रूप में जब राजा वापस पँहुचा तो उसे देख कर सभी लोग अचंभित रह गए। राजा ने सभा बुलाई और अपनी रानियों, पुत्रों और मंत्रियों से कहा की अब मैं राज-पाट संभालने के लायक नहीं रहा हूँ, तुम सभी लोग सुख से यहाँ रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन बीताउंगा.

ऐसा कह कर वह राजा जंगल की तरफ प्रस्थान कर गया। वहां जाकर वह स्त्री रूप में एक तपस्वी के आश्रम में रहने लगी जिनसे उसने कई पुत्रों को जन्म दिया। अपने उन पुत्रों को वह अपने पुराने राज्य ले गयी और अपने पुराने बच्चो से बोली, "तुम मेरे पुत्र हो जब में एक पुरुष था, ये मेरे पुत्र हैं जब में एक स्त्री हूँ। मेरे राज्य को मिल कर, भाइयों की तरह संभालो।" सभी भाई मिलकर रहने लगे।

सब को सुख से जीवन व्यतीति करता देख, देवराज इन्द्र और ज़्यादा क्रोधित हो जाए और उनमें बदले की भावना फिर जागने लगी। इन्द्र सोचने लगा की ऐसा लगता है की राजा को स्त्री में बदल कर मैने उसके साथ बुरे की जगह अच्छा कर दिया है। ऐसा कह कर इन्द्र ने एक ब्राह्मण का रूप धारा और पहुँच गया राजा भंगस्वाना के राज्य में। वहां जाकर उसने सभी राजकुमारों के कान भरने शुरू कर दिए।

इंद्र के भड़काने की वजह से सभी भाई आपस में लड़ पड़े और एक दूसरे को मार डाला। जैसे ही भंगस्वाना को इस बात का पता चला वह शोकाकुल हो गया। ब्राह्मण के रूप में इन्द्र राजा के पास पहुंचा और पूछा की वह क्यूँ रो रही है। भंगस्वाना ने रोते रोते पूरी घटना इन्द्र को बताई तो इन्द्र ने अपना असली रूप दिखा कर राजा को उसकी गलती के बारे में बताया।

इंद्र ने कहा, "क्योंकि तुमने सिर्फ अग्नि को पूजा और मेरा अनादर किया इसलिए मैने तुम्हारे साथ यह खेल रचा।" यह सुनते ही भंगस्वाना इन्द्र के पैरों में गिर गया और अपने अनजाने में किया अपराध के लिए क्षमा मांगी। राजा की ऐसी दयनीय दशा देख कर इन्द्र को दया आ गई. इन्द्र ने राजा को माफ करते हुए अपने पुत्रों को जीवित करवाने का वरदान दिया।

इंद्र बोले, "हे स्त्री रूपी राजन, अपने बच्चों में से किन्ही एक को जीवित कर लो" भंगस्वाना ने इन्द्र से कहा अगर ऐसी ही बात है तो मेरे उन पुत्रों को जीवित कर दो जिन्हे मैने स्त्री की तरह पैदा किया है। हैरान होते हुए इन्द्र ने इसका कारण पूछा तो राजा ने जवाब दिया, "हे इन्द्र! एक स्त्री का प्रेम, एक पुरुष के प्रेम से बहुत अधिक होता है इसीलिए मैं अपनी कोख से जन्मे बालकों का जीवन-दान मांगती हूँ।"

भीष्म ने इस कथा को आगे बढाते हुए युधिष्ठिर को कहा की इन्द्र यह सब सुन कर प्रसन्न हो गए और उन्होने राजा के सभी पुत्रों को जीवित कर दिया. उसके बाद इन्द्र ने राजा को दुबारा पुरुष रूप देने की बात की. इन्द्र बोले, "तुमसे खुश होकर हे भंगस्वाना मैं तुम्हे वापस पुरुष बनाना चाहता हूँ" पर राजा ने साफ मना कर दिया।

स्त्री रुपी भंगस्वाना बोला, "हे देवराज इन्द्र, मैं स्त्री रूप में ही खुश हूँ और स्त्री ही रहना चाहता हूँ" यह सुनकर इन्द्र उत्सुक होगए और पूछ बैठे की ऐसा क्यूँ राजन, क्या तुम वापस पुरुष बनकर अपना राज-पाट नहीं संभालना चाहते?" भंगस्वाना बोला, "क्यूंकि सम्भोग के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना ज़्यादा आनंद, तृप्ति और सुख मिलता है इसलिए मैं स्त्री ही रहना चाहूंगा।" इन्द्र ने "तथास्तु" कहा और वहां से प्रस्थान किया।

भीष्म बोले, "हे युधिष्ठिर यह बात स्पष्ट है की स्त्री को सम्बंधों के समय पुरुष से ज़्यादा सुख मिलता है।"

ऐसी ही एक कहानी का वर्णन ग्रीक धर्म ग्रंथों में है।

ग्रीक माईथोलोजी: तीरेसीआस की कहानी

तिरेसिआस नाम का एक राजा अपने युवा दिनों में एक बार जंगल में शिकार करने गया। वहां उसने दो सापों को सम्भोग करते समय लिपटे हुए देखा। तीरेसीआस को ना जाने क्या सूझा उसने अपने सिपाहियों की मदद से उन विशाल सापों को अलग करवा दिया, ऐसा करवाते ही उसे श्राप मिला की उसका पोरुष चला जाएगा और वह एक महिला में तब्दील हो गया। उन सापों का क्या हुआ इस बारे में कुछ पता नहीं है।

कई साल बाद तिरेसिआस अपने स्त्री रूप में दुबारा उसी जंगल से गुजरा। अपनी नफरत के चलते उसने अपने सिपाहियों की मदद से दुबारा एक साँप के जोड़े को अलग अलग कर दिया पर इस बार ऐसा करते ही वह पुरुष बन गया। अब वह अपनी तरह का एक ऐसा अकेला व्यक्ति था जिसने स्त्री और पुरुष दोनो का जीवन जिया था। उसी समय ग्रीक भगवान ज़ीउस और उनकी पत्नी हीरा में विवाद चल रहा था की सेक्स कौन ज़्यादा एंजाय करता है - स्त्री या पुरुष?


उन्होंने तिरेसिआस को बुलावा भेजा। तीरेसीआस ने ज़ीउस और हीरा के सवाल का एकदम सीधा और सटीक जवाब दिया - "महिलाएं पुरुषों से 9 गुना ज़्यादा सेक्स का आनंद उठती हैं" इस जवाब से हीरा बहुत नाराज़ हो गयीं और उन्होने तीरेसीआस पर ऐसा वॉर किया की वह अंधा हो गया। ज़ीउस अपने आपको तीरेसीआस के अंधेपन के लिए जिम्मेदार मानने लगे और उन्होने उसको भविष्य देखने का वरदान दिया।

लगभग दुनिया की हर संस्कृति में ऐसे देवी देवता हैं जो स्त्री-पुरुष का सम्बंध खूबसूरती से दर्शाते हैं। भारत में ऐसी प्रतिमा हे अर्धनारीश्वर की। अर्धनारीश्वर का अर्थ यह हुआ कि आपका ही आधा व्यक्तित्व आपकी पत्नी और आपका ही आधा व्यक्तित्व आपका पति हो जाता है। आपकी ही आधी ऊर्जा स्त्रैण और आधी पुरुष हो जाती है। और तब इन दोनों के बीच जो रस और लीनता पैदा होती है , उस शक्ति का कहीं कोई विसर्जन नहीं होता।
Published by akash84
9 years ago
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kajal85
kajal85 7 years ago
its true....
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